V.S Awasthi

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तेरे निशान

प्रतियोगिता हेतु रचना
विषय:- तेरे निशान
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तेरे पद चिन्हों पर चल कर मैंने जीवन जीना सीखा।
जो राह दिखाई थी तुमने उस पथ पर ही चलना सीखा।।
पद चिन्ह आपके ना मिलते राहों में भटकता मैं फिरता।
गिरता-उठता चल कांटों में दिन-रात भटकता ही रहता।।
मन्जिल थी मेरी दूर बहुत चलना भी तो मजबूरी थी।
मन्जिल पाने की चाहत भी दिल में रह गई अधूरी थी।।
हे पितृदेव पद चिन्ह आपके मेरे जीवन के नायक थे।
कष्टों बाधाओं को हरने में बलवर्धक वही सहायक थे।।
पद चिन्हों के सहारे ही मेरा जीवन जीना भी सफल हुआ।
आशीष आपका सदा मिला मैं मन्जिल तक पहुंच गया।।
पद चिन्ह आपके मिले मुझे शत् बार नमन मैं करता हूं।
संस्कार आपसे मिले मुझे अनुसरण उन्हीं का करता हूं।।
विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर

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2 Comments

Gunjan Kamal

28-Jul-2023 08:18 AM

👏👌

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खूबसूरत भाव और अभिव्यक्ति

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